वाराणसी : विश्वविद्यालय बीएचयू में पहली बार डिजिटल ट्रैकिंग का एक केस सामने आया। तीन महीने चली लंबी जांच में विज्ञान संस्थान आईएमएस के 28 सीनियर छात्रों को MBBS छात्रों के साथ रैंकिंग का दोषी पाया गया है। सभी दोषियों पर 25000 जुर्माना लगाया गया है। साथ हॉस्टल से आरोपियों को निलंबित कर दिया गया है। आरोपित छात्रों के अभिभावकों को जुलाई के दूसरे सप्ताह में विश्वविद्यालय बुलाया गया है।
आपको बता दें कि आरोपित मेडिकल छात्रों ने टेलीग्राम एप पर एंटी रैगिंग स्क्वायड के अध्यक्ष के नाम से फर्जी प्रोफाइल भी तैयार की थी। 400 में टेलीग्राम पर वीडियो कॉल के जरिए 40 से अधिक छात्राओं के कपड़े उतरवाए यह समूह 10 छात्रों के बनाए गए थे। ताकि कोई पकड़ में नहीं जा सके। टास्क में भू के कृषि विज्ञान संस्थान के बीएससी कृषि के 16 छात्रों को भी रैंकिंग का दोषी पाया गया है। प्रत्येक छात्र पर ₹25000 जुर्माना लगा है इनकी भी हॉस्टल सुविधा निलंबित की गई है।
आरोपियों ने 10 से अधिक जूनियर छात्रों को मैदान में बुलाकर उन्हें शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाया गया। आपत्तिजनक शब्दों के साथ अपमानित करने के साथ अनुचित गतिविधियों में शामिल होने के लिए दबाव डाला गया। पिछले दो वर्षों में रैंकिंग के तीन बड़े मामलों में विश्वविद्यालय कार्यवाही कर चुका है। एक दूसरे को थप्पड़ मारने के लिए कहा गया तो कलर में पानी भरवाने के साथ ही कपड़े डलवाने व डांस करवाने का मामला भी संज्ञान में आया है।
उनसे अनैतिक कार्य भी करने का मामला संज्ञान में आया है। कुछ छात्राओं को रूम पर कार्य कराए गए। विरोध करने वाले छात्रों को कक्षा से बहिष्कार की धमकी दी गई। तीन से चार माह तक या सिलसिला चलता रहा है। लंबे समय तक पढ़ताना झेल रहे छात्रों ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यूजीसी को मेल से शिकायत की तो भू की अंतिम रैकेट स्क्वायर ने समय ने छात्रों को दोषी पाया गया है। स्क्वायर की जांच शुरू हुई और 28छात्रों के खिलाफ कार्यवाही की गई है। अध्यक्ष प्रोफेसर रैना सिंह ने बताया की रैंकिंग को लेकर विश्वविद्यालय भेज सकते हैं ऐसे मामलों में तत्काल कार्रवाई की जाएगी।
