देहरादून : उत्तराखंड पुलिस ने सिख समुदाय के लिए तुगलगी फरमान जारी किया है। सिख श्रद्धालुओं के बीच मारपीट और हंगामे की बढ़ती घटनाओं के चलते ऐसा फरमान सुनाया है। अब सिख श्रदालु धारदार हथियार लेकर उत्तराखंड में नहीं आ पाएंगे। मारपीट की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए उत्तराखंड पुलिस इस तरह का सख्त कदम उठाने जा रही है।
पुलिस ने सिख समुदाय से जुड़ी उन परंपराओं को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनमें तलवार, भाला और खंजर लाने की परंपरा रही है। अब ऐसे सभी हथियार बिना धार के उत्तराखंड की सीमा में प्रवेश कर सकेंगे। आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप ने रेंज के सभी एसएसपी को उत्तराखंड की सीमाओं पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। बिना धार वाले धार्मिक चिह्नों को ही अनुमति दी जाएगी। साथ ही ग्रंथी के जरिए श्रद्धालुओं तक इस नियम की जानकारी पहुंचाई जाएगी।
आपको बता दें कि हाल ही में श्रीनगर और जोशीमठ से हेमकुंड जा रहे सिख श्रद्धालुओं के कुछ वीडियो सामने आए थे। इन वीडियो में सिख श्रद्धालु तलवारें लहराते नजर आए थे। इस दौरान स्थानीय लोगों से हिंसक झड़प भी हुई थी। इन विवादों के चलते कुछ लोग घायल भी हुए थे। हालांकि अब पुलिस बीच का रास्ता निकालकर ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने का प्रयास कर रही है, ताकि सिख श्रद्धालुओं की आस्था के साथ छेड़छाड़ न हो और किसी को नुकसान न पहुंचे। इसी को ध्यान में रखते हुए पुलिस ने अब सिख समुदाय से जुड़े श्रद्धालुओं और आयोजकों से धारदार हथियार न लाने की अपील की है।
पुलिस का साफ कहना है कि भावनाएं अपनी जगह हैं, लेकिन कानून व्यवस्था सर्वोपरि है। आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप ऐसे में श्रद्धालु अपने पारंपरिक हथियार भाला, तलवार, बरछा और कटार ला सकते हैं, लेकिन उनकी धार तेज नहीं होनी चाहिए। धार्मिक भावनाएं अपनी जगह हैं, लेकिन कानून व्यवस्था सर्वोपरि है। श्रद्धालु अपनी परंपरा के अनुसार भाला, तलवार, बरछा और कटार ला सकते हैं, लेकिन उनकी धार तेज नहीं होनी चाहिए। धारदार हथियारों को लेकर पूरी सख्ती बरती जाएगी। इसलिए पुलिस ने स्पष्ट किया है कि यात्रा में केवल प्रतीकात्मक और कुंद हथियारों को ही ले जाने की अनुमति होगी।
नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया NPR BHARAT NEWS के Facebook पेज को Like व Twitter पर Follow करना न भूलें...

